monikaprince

Header Ads

सुदृढ़ भारत के आज बदलते परिदृश्य 'पासा पलटा'

आज विश्व के हर मंच पर भारत का चर्चा आम हो गया है। इसकी वजह है पिछले छ: वर्षों से सत्ता में आई मोदी सरकार और उनके मंत्रीमंडल के काम करने की एकरूप कार्यशैली। जिस भी मंत्री को जो भी मंत्रालय मिला उनमें कुछ नए आयाम हासिल करने का जज्बा था। यही कारण है कि आज विदेश नीति, आर्थिक नीति, रक्षानीति, गृह मंत्रालय की कार्यशैली, खेल मंत्रालय, परिवहन मंत्रालय या किसी भी मंत्रालय की बात करें तो वे सभी एकरूप एकजुट होकर अपने-अपने क्षेत्र में नए आयाम हासिल करने और अपने एक अच्छा प्रोग्रेश रिपोर्ट तैयार करने के लिए कार्य कर रहे हैं। इसका परिणाम ही है कि आज भारत विश्व पटल पर एक अग्रणी भूमिका निभा रहा है तथा हर देश भारत के साथ मित्रता के नए अध्याय जोड़ना चाहता है। इसके विपरीत यदि हम 2014 में सत्ता में आए नरेन्द्र मोदी सरकार के महज दो दशक पहले यानि 1994 से 2014 तक की घटनाक्रम पर प्रकाश डालें तो हम यही पाएंगे कि इस बीच भारत की छवि एक कमजोर गरीब राष्ट्र के रूप में थी। हमारी सरकार आर्थिक बदहाली से जूझ रही थी, इसका कारण सभी स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार और देश के अंदर बैठे अपने ही एजेंडा चलाते लोग थे।
यदि हम 1994 से 2014 तक भारत के सफर को संकलन करे तो हम पाएंगे पिछले दो दशकों में छोटी बड़ी आंतकवादी घटनाओं को यदि संकलित करे तो कुल 6801 आंतकीवादी घटनाएं हुई और उनमें लगभग 11338 आम नागरिक और सेना की जवानों की मौत और लगभग 19951 लोग घायल हुए हैं। जबकि यही आंकड़ा वर्ममान मोदी सरकार के आने के बाद की अवधी का ले तो सैन्य ठिकानों पर आतंकवादी हमले की संख्या बढ़ी है (इसका कारण आतंकवादियों के खिलाफ आक्रामक सैन्य कार्रवाई), वहीं नागरिक क्षेत्र में आतंकवादी हमलों को रोकने में मोदी सरकार पूरी तरह सफल रही है। किसी भी देश को कमजोर करने में वहां व्याप्त भ्रष्टाचार की अहम भूमिका रहती है, भारत में यही हो रहा था। भारत में भ्रष्टाचार इस तरह से व्याप्त था कि देश के पास किसी भी प्रकार की विकास कार्य करने की राशि उपलब्ध नहीं थी। योजनाए बनती थी, पैसे भी खर्च हो जाते थे, परन्तु योजनाओं को मूर्तरूप से कार्यन्वयन नहीं किया जाता था।
अभी हाल में मोदी सरकार के आने के बाद नोटबंदी के कारण लाखों करोड़ का कालाधन या ब्लॉक पैसा जो गलत रूप से अर्जित कर सरकार को टैक्स न देकर लॉकरों में बंद कर रखा गया था वह सब बाहर आया। अचानक हुए नोटबंदी के कारण भ्रष्टाचार और आतंकवाद का समन्वय टूटा और आतंकवादियों की कमर टूटी। इसके बाद राष्ट्रवादी सरकार ने अपनी इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए कश्मीर में और अलगाववादियों पर नकेल कसा। वर्षों से चली आ रही कश्मीर में राजनीतिक पार्टियों, अलगाववादियों और आतंकवादियों के त्रिकोणीय समन्वय को सरकार ने तोड़ा और ईडी के जरिए अलगाववादियों के मााध्यम से आतंकवादी और पत्थरबाजों तक राशि पहुंचाने का नेटवर्क तोड़ा। इसी कार्रवाई के तहत सारे अलगाववादी नेता खुद-ब-खुद गलत फाइनेशियल ट्रांजेक्शन में ईडी के हत्थे चढ़ते गए। अब सरकार की आखिरी मुहिम थी घाटी में पनपे आंतकी नेटवर्क को तोड़ने की। इसके लिए सरकार ने पहले जमीनी स्तर से इलाके में सक्रिय आतंकी एजेंटों को तथा उनके सीमापार आकाओं के नेटवर्क संसाधन को टारगेट किया और उसे ध्वस्त किया। फिर शुरू हुआ ढाई साल लंबा "ऑपरेशन ऑलआउट' जिसमें सारे आतंकवादियों की सूची बनाई गई और अक्रामक रुख लेते हुए सरकार ने महत्वाकांक्षी ऑपरेशन के तहत आतंकवादियों का ढूंढ-ढूंढ कर सफाया किया।
इसी बीच सरकार की पांच वर्षीय कार्यावधि समाप्त होने आई और पाकिस्तान के पुरजोर समर्थन के साथ भारतीय विपक्षी दल एकजुट होकर महागठबंधन का निर्माण किया। परन्तु इन सभी घटनाक्रमों के कारण भारतीय जनता जग चुकी थी और उनमें भी राष्ट्रवाद की भावना जागरूक थी। सरकार को ट्रांजिशन फेज में देखकर आतंकवादियों ने पुलवामा आतंकी घटना को अंजाम दे दिया। जिससे सारा देश एकजुट हो गया और पाकिस्तान को सबक सिखाने की मांग होने लगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इच्छाशक्ति और अपने जवानों के लहू का बदला लेने के लिए भारत सरकार ने बालाकोट पर हवाई हमला करके सारे टेरर कैंपों को ध्वस्त किया और लगभग 350 आतंकवादियों और उनके ट्रेनरों को मार गिराया।
इधर, भारतीय जनता और मीडिया में राष्ट्रवाद पूरी तरह से जग चुकी थी और जनता एकजुट होकर भाजपा को वापस सत्ता में ले आई। इस सभी छ: वर्षों की घटनाक्रमों से विश्व में भारत की छवि बढ़ी है। वहीं पाकिस्तान अपनी करतूतों के कारण विश्व समुदाय में अलग-थलग होकर दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया है। एक समय था जब भारतीय वायुयान आईसी 814 अपहरण कर कंधार ले जाया गया, गुजरात में अक्षरधाम मंदिर में आतंकियों द्वारा श्रद्धालुओं को बंधक बनाया गया, मुबंई सीरियल बलास्ट हुआ, मुबंई में 26/11 की घटना को अंजाम दिया गया, संसद पर हमला हुआ, लाल किला पर हमला हुआ। उस समय पहले आतंकी घटनाएं हो जाती थी और भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सबूत देती रहती थी और कड़ी आलोचना करती थी, लेकिन बदले की कार्रवाई नहीं कर पाती थी। पाकिस्तान और उसके इशारे पर आतंकी अपनी कार्रवाई कर सुरक्षित रह जाते थे।
आज पासा पलट चुका है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आने के बाद। लगातार उनके अथक परिश्रम और विदेशी दौरे से विश्व समुदाय भारत को अच्छी तरह जाना है और मोदी के कार्यकुशलता, बहुमुखी अप्रोच के कारण उनका लोहा भी माना है। एक साथ ग्रामीण विधुतीकरण, उज्ज्वला योजना, स्वच्छता अभियान, जनधन योजना, ग्रामीण आवास योजना के साथ-साथ साथ समानांतर अपनी पाकिस्तान और जम्मू कश्मीर लक्ष्य भी सफलतापूर्वक पूर्ण किया है। नार्थ ईस्ट में म्यांमार में सर्जिकल स्ट्राइक, उड़ी में सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट हवाई हमला और अब जम्मू कश्मीर में धारा 370 व 35 ए का निरस्तिकरण विश्व में भारत और भारतीय सरकार की नई पहचान दी है। सरकार ने विश्व पटल पर एक सक्षम, सुदृढ़ और मजबूत भारत को पेश किया है।
--------------------------
मोदी सरकार के आने के पहले का आतंकी हमलों का आकड़ा:-

1995-2004

-कुल आतंकी घटना- 1660
-मौत-5386
-घायल-9209

2005-2014
-कुल आतंकी घटना- 5141
-मौत -5944
-घायल-10742
________________________________

  लेखक : धीरज कुमार सिन्हा 


Post a Comment

0 Comments