अलवर का राजस्थान के पर्यटन स्थलों में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। अलवर ऐतिहासिक इमारतों से भरा पड़ा है। अलवर अरावली की पहाडिय़ों के मध्य में बसा है। अलवर का प्राचीन नाम 'शाल्वपुरÓ था। अलवर में 14वीं शताब्दी में निर्मित मकबरा और कई प्राचीन मस्जिदें स्थित हैं। नयनाभिराम सिलिसर्थ झील के किनारे स्थित महल में एक संग्रहालय है, जिसमें हिन्दी, संस्कृत और फारसी पांडुलिपियां तथा राजस्थानी व मुगल लघु चित्रों का संग्रह रखा गया है। यहां के अन्य दर्शनीय स्थलों में प्रसिद्ध सरिस्का बाघ अभयारण्य शामिल है। अलवर सुंदर झीलों, भव्य महलों, शानदार मंदिरों, शानदार स्मारकों और विशाल किलों के लिए प्रसिद्ध है। अलवर का सौंदर्य पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
अलवर के दर्शनीय स्थान-
नीमराना फोर्ट पैलेस
राजस्थान के शहर अलवर में कई पर्यटन स्थलों में से एक है। सन् 1464 में स्थापित नीमराना फोर्ट पैलेस देश के कुछ प्राचीनतम हेरिटेज रिजॉर्ट्स में से एक है। पृथ्वीराज चौहान तृतीय की तीसरी राजधानी नीमराना किला दिल्ली जयपुर हाइवे पर स्थित है और 25 एकड़ क्षेत्र में फैला है। दस लेवल पर बना यह भव्य किला बाहर से देखने में मनमोहक है, लेकिन किला के अंदर से बाहर का नजारा उससे भी अधिक आकर्षक लगता है। राजस्थान के अलवर जिले में अरावली क्षेत्र के नीमराना गांव में स्थित यह किला पर्यटकों को आकर्षित करता है।
सिटी पैलेस
सिटी पैलैस परिसर अलवर के पूर्वी छोर की शान है। सिटी पैलैस के ऊपर अरावली की पहाडिय़ां हैं जिन पर बाला किला बना है। सिटी पैलेस परिसर बहुत ही ख़ूबसूरत है और इसके साथ-साथ बालकॉनी की योजना है।
बाला किला
बाला किले की दीवार पूरी पहाड़ी पर फैली हुई है जो हरे-भरे मैदानों से गुजरती है। पूरे अलवर शहर में यह सबसे पुरानी इमारत है, जो लगभग 928 ई. में निकुम्भ राजपूतों द्वारा बनाई गई थी।
फतहगंज का मकबरा
अलवर में फतहगंज का मकबरा पांच मंजिला है। फतहगंज का मकबरा दिल्ली में स्थित अपनी समकालीन सभी इमारतों में सच्से उच्च कोटि का है। ख़ूबसूरती के मामले में यह हुमायंू के मकबरे से भी सुंदर है।
भर्तृहरि का मंदिर
यह अलवर शहर से 32 किमी दूर जयपुर अलवर मार्ग पर स्थित है। हरी-भरी अरावली पर्वत शृंखलाओं की तलहटी में स्थित भर्तृहरि का मंदिर। भर्तृहरि धाम लाखों लोगों की श्रद्धा का केंद्र है।
सरिस्का
राजस्थान के अलवर जिले में अरावली की पहाडिय़ों पर 800 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला सरिस्का मुख्य रूप से वन्य जीव अभयारण्य और टाइगर रिजर्व के लिए प्रसिद्ध है। अलवर के सरिस्का की गिनती भारत के जाने माने वन्य जीव अभयारण्यों में की जाती है। इसके अलावा इस स्थान का ऐतिहासिक महत्व भी है।
सिलीसेढ़ झील
यह एक प्राकृतिक झील है। यह झील दिल्ली-जयपुर मार्ग पर अलवर से 12 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित है। सिलीसेढ़ झील अलवर की सबसे प्रसिद्ध और सुंदर झील है। इसका निर्माण महाराव राजा विनय सिंह ने 1845 में करवाया था। झील के चारों ओर हरी-भरी पहाडिय़ां और आसपास के मनारेम दृश्य को देखा जा सकता है।
दूरी
अलवर जयपुर से 148 किमी. और दिल्ली से 156 किमी. दूर है। जयपुर से राष्ट्रीय राजमार्ग 8 द्वारा शाहपूरा और अमेर होते हुए अलवर पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से राष्ट्रीय राजमार्ग 8 द्वारा धारूहेडा और मानेसर होते हुए अलवर पहुंचा जा सकता है।
घूमने का सही समय
अलवर घूमने के लिए सच्से अच्छा मौसम अक्टूबर से मार्च का है। उस समय अलवर की सौंदर्य देखने लायक होता है।
कैसे पहुंचे
वायु मार्ग-अलवर के सबसे नजदीक हवाई अड्डा सांगनेर है।
रेल मार्ग-रेलमार्ग द्वारा आसानी से अलवर पहुंचा जा सकता है।
सडक मार्ग-अलवर के राजस्थान के सभी शहरों और भारत के सभी राज्यों से सड़कमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
ठहरने का स्थान
अलवर में रूकने के लिए सस्ते और मंहगे होटल हैं जहां आप अपनी सुविधा के अनुसार रूक सकते हैं।
अलवर के दर्शनीय स्थान-
नीमराना फोर्ट पैलेस
राजस्थान के शहर अलवर में कई पर्यटन स्थलों में से एक है। सन् 1464 में स्थापित नीमराना फोर्ट पैलेस देश के कुछ प्राचीनतम हेरिटेज रिजॉर्ट्स में से एक है। पृथ्वीराज चौहान तृतीय की तीसरी राजधानी नीमराना किला दिल्ली जयपुर हाइवे पर स्थित है और 25 एकड़ क्षेत्र में फैला है। दस लेवल पर बना यह भव्य किला बाहर से देखने में मनमोहक है, लेकिन किला के अंदर से बाहर का नजारा उससे भी अधिक आकर्षक लगता है। राजस्थान के अलवर जिले में अरावली क्षेत्र के नीमराना गांव में स्थित यह किला पर्यटकों को आकर्षित करता है।
सिटी पैलेस
सिटी पैलैस परिसर अलवर के पूर्वी छोर की शान है। सिटी पैलैस के ऊपर अरावली की पहाडिय़ां हैं जिन पर बाला किला बना है। सिटी पैलेस परिसर बहुत ही ख़ूबसूरत है और इसके साथ-साथ बालकॉनी की योजना है।
बाला किला
बाला किले की दीवार पूरी पहाड़ी पर फैली हुई है जो हरे-भरे मैदानों से गुजरती है। पूरे अलवर शहर में यह सबसे पुरानी इमारत है, जो लगभग 928 ई. में निकुम्भ राजपूतों द्वारा बनाई गई थी।
फतहगंज का मकबरा
अलवर में फतहगंज का मकबरा पांच मंजिला है। फतहगंज का मकबरा दिल्ली में स्थित अपनी समकालीन सभी इमारतों में सच्से उच्च कोटि का है। ख़ूबसूरती के मामले में यह हुमायंू के मकबरे से भी सुंदर है।
भर्तृहरि का मंदिर
यह अलवर शहर से 32 किमी दूर जयपुर अलवर मार्ग पर स्थित है। हरी-भरी अरावली पर्वत शृंखलाओं की तलहटी में स्थित भर्तृहरि का मंदिर। भर्तृहरि धाम लाखों लोगों की श्रद्धा का केंद्र है।
सरिस्का
राजस्थान के अलवर जिले में अरावली की पहाडिय़ों पर 800 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला सरिस्का मुख्य रूप से वन्य जीव अभयारण्य और टाइगर रिजर्व के लिए प्रसिद्ध है। अलवर के सरिस्का की गिनती भारत के जाने माने वन्य जीव अभयारण्यों में की जाती है। इसके अलावा इस स्थान का ऐतिहासिक महत्व भी है।
सिलीसेढ़ झील
यह एक प्राकृतिक झील है। यह झील दिल्ली-जयपुर मार्ग पर अलवर से 12 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित है। सिलीसेढ़ झील अलवर की सबसे प्रसिद्ध और सुंदर झील है। इसका निर्माण महाराव राजा विनय सिंह ने 1845 में करवाया था। झील के चारों ओर हरी-भरी पहाडिय़ां और आसपास के मनारेम दृश्य को देखा जा सकता है।
दूरी
अलवर जयपुर से 148 किमी. और दिल्ली से 156 किमी. दूर है। जयपुर से राष्ट्रीय राजमार्ग 8 द्वारा शाहपूरा और अमेर होते हुए अलवर पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से राष्ट्रीय राजमार्ग 8 द्वारा धारूहेडा और मानेसर होते हुए अलवर पहुंचा जा सकता है।
घूमने का सही समय
अलवर घूमने के लिए सच्से अच्छा मौसम अक्टूबर से मार्च का है। उस समय अलवर की सौंदर्य देखने लायक होता है।
कैसे पहुंचे
वायु मार्ग-अलवर के सबसे नजदीक हवाई अड्डा सांगनेर है।
रेल मार्ग-रेलमार्ग द्वारा आसानी से अलवर पहुंचा जा सकता है।
सडक मार्ग-अलवर के राजस्थान के सभी शहरों और भारत के सभी राज्यों से सड़कमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
ठहरने का स्थान
अलवर में रूकने के लिए सस्ते और मंहगे होटल हैं जहां आप अपनी सुविधा के अनुसार रूक सकते हैं।
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