अगर मुझे किसी शहर में जाने का मौका मिलता है तो वहां के पर्यटन स्थलों की जानकारी जरूर रखती हूं। पिछले सप्ताह मुझे किसी काम से दो दिन के लिए नागपुर जाना पड़ा। वहां से हम कलमेश्वर गए जो नागपुर से लगभग 30 किलोमीटर दूर है। हमें बताया गया कि यहां से 15 किमी दूर एक गणेश मंदिर है जहां गणेश भगवान की विशालकाय प्रतिमा है। कहते हैं कि यहां दर्शन करने से गणपति अपने भक्तों की सभी मनोकामना पूरा करते हैं। तो हम चार-पांच लोग बाइक और स्कूटी से दोपहर 12 बजे अदासा के गणपति के दर्शन के लिए चल दिए। रास्ते में कई उतार-चढ़ाव मिले, पर थकान महसूस नहीं हुई। प्रकृति सौंदर्य को निहारते और सफेद चादर सी फैली कपास को देखना बेहद खूबसूरत लग रहा था। हरियाली के बीच पहाड़ों पर बसे हैं गणपति बप्पा। रास्ते में पडऩे वाले कहीं धूप तो कहीं छांव के बीच दूर से दिखते पहाड़ सोने से चमकते तो कहीं बादलों में सट जाते। प्रकृति के आंचल में बसे गणपति के पास पहुंचकर काफी शांति मिलती है। पहाड़ों के बीच एक छोटा सा गांव है जिसका नाम है आदासा। यहां अनेक प्राचीन और शानदार मंदिर देखे जा सकते हैं। अदासा गणपति की महिमा ऐसी है कि भक्त या पयर्टक अपने आप इस ओर खिचें चले आते हैं। कलमेश्वर से 15 किमी दूर आदासा के गणेश मंदिर में गणपति स्वयंभू है। जिन्हें शमी विध्नेश्वर भी कहा जाता है। क्योंकि गणपति शमी के पेड़ से निकले हैं। नागपुर के आदासा गणपति के दर्शन कर भक्तों का जीवन धन्य हो जाता है। आदासा गणपति की ये प्रतिमा पहले बहुत छोटी थी। अब करीब 11 फीट ऊंची और 7 फीट चौड़ी है और एक ही पत्थर से निर्मित है। बताया जाता है कि गणपति चावल के आकार के समान रोज बढ़ते हैं। यह हिंदू धर्म का एक बड़ा केंद्र है जो पौष के महीने में तीर्थ यात्रियों को आकर्षित करता है। हम आदासा में लगभग दो-ढाई घंटे रुके। मन तो कुछ देर और रुकने का था, लेकिन हमारी ट्रेन नागपुर से शाम में थी। इसलिए हमलोग दर्शन के बाद वहां का प्रसिद्ध पानी-पूरी खाकर जल्दी लौट आए। यहां लोग अपने परिवार के साथ पिकनिक मनाने भी आते हैं। मंदिर परिसर में काफी भीड़ रहती है। बच्चों के लिए झूले लगे हैं। मंदिर के आसपास हरियाली है और मंदिर पीछे एक गांव भी है। आदासा गणपति की महिमा ही कुछ ऐसी है कि भक्त बरबस इस ओर खिचें चले आते हैं। मंदिर परिसर के कई दुकान है जहां बाप्पा को चढ़ाने के लिए एक थाल में नारियल, फूल, माला, अबीर, सिंदूर और दूर्वा मिलता है। मंदिर में नारियल चढ़ाने के बाद मंदिर के बाहर तोड़ा जाता है।
वामन पुराण के अनुसार जब वामन रूप में भगवान विष्णु राजा बलि के पास पहुंचे उससे पहले उन्होंने आदासा गांव के इसी स्थान पर भगवान गणेश की आराधना की थी। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने शमि के वृक्ष से प्रकट होकर भगवान वामन को दर्शन देकर अपना आशीर्वाद दिया और इसलिए गणपति को यहां शमी गणेश के नाम से भी पुकारा जाने लगा। वसंत पंचमी पर भगवान गणेश उत्सव मनाया जाता है। उस समय देशभर से हजारों श्रद्धालु यहां उमड़ पड़ते हैं। आदासा के समीप ही एक पहाड़ी में तीन लिंगों वाला भगवान शिव को समर्पित मंदिर बना हुआ है। माना जाता है कि इस मंदिर के लिंग अपने आप भूमि से निकले थे।
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