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यह है मुंबई की शान, जहां पर्यटक आना चाहते हैं बार-बार

भारत के पश्चिमी तट पर स्थित मुंबई (पूर्व नाम बंबई) महाराष्ट्र की राजधानी है। भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई पर्यटकों को बहुत लुभाता है। मुंबई को भारत का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। मुंबई भारत के पश्चिमी समुद्र तट पर स्थित है। यह अरब सागर के सात द्वीपों का एक हिस्सा है, इसलिए इसे सात टापुओं का नगर भी कहा जाता है। मुंबई सामान्य रूप से सात द्वीपों जिनके नाम कोलाबा, माजागांव, ओल्ड वूमन द्वीप, वाडाला, माहीम, पारेल और माटूंगा-सायन पर स्थित है। पूरे साल सुहावना मौसम रहने के कारण पर्यटकों के लिए किसी समय भी घूमने के लिए मुंबई एकदम सही स्थान है।
गेटवे आफ इंडिया
गेटवे आफ इंडिया मुंबई का बहुत ही प्रसिद्ध स्थान है। यह अपोलो बंदर के समीप स्थित है। इसकी रूपरेखा जॉर्ज विटेट ने तैयार की थी। इस प्रवेशद्वार के पास ही पर्यटकों के समुद्र भ्रमण हेतु नौका-सेवा भी उपल्ब्ध है। मुंबई के कोलाबा में स्थित गेटवे ऑफ की उंचाई 26 मीटर (85 फीट) है। यही से एलिफेंटा द्वीप के लिए बोट चलती हैं। गेटवे आफ इंडिया को देखने के लिए लाखों लोग प्रतिवर्ष आते हैं।
हाजी अली
हाजी अली की दरगाह मुंबई के वर्ली तट के निकट स्थित एक छोटे से टापू पर स्थित है। यह दरगाह मुस्लिम और हिन्दू दोनों समुदायों के लिए विशेष धार्मिक महत्व रखती हैं। यह मुंबई का महत्वपूर्ण धार्मिक एवं पर्यटन स्थल भी है। मुख्य सड़क से लगभग 400 मीटर की दूरी पर यह दरगाह एक छोटे से टापू पर बनाई गई है। दरगाह तक जाने के लिए मुख्य सड़क से एक सेतु बना हुआ हैं। पैदल-पथ दरगाह में जाने का एकमात्र रास्ता है। सेतु के दोनों ओर समुद्र होने के कारण यह रास्ता काफी मनोरम हो जाता है। सूर्यास्त के समय किनारे से देखे जाने पर दरगाह का दृश्य बहुत शानदार दिखाई देता है।
होटल ताज
मुंबई की कोलाबा में पांच सितारा होटल ताज महल स्थित है जो गेटवे ऑफ इंडिया के पास है। होटल ताज शहर की सबसे बड़ी पहचान और भारत के सर्वश्रेष्ठ होटलों में से एक है। इस होटल का निर्माण 1903 में जेएन टाटा ने करवाया था। ताज होटल को मुंबई की शान माना जाता है। यह होटल भी पर्यटकों के मुख्य आकर्षण का केंद्र बना रहता है।
हेंगिग गार्डन
हैंगिंग गार्डन को फिरोजशाह मेहता गार्डन के नाम से भी जाना जाता है। मालावार पहाड़ी के शीर्ष भाग पर स्थित इस गार्डन का निर्माण 1881 ई. में किया गया था। यह गार्डन तीन जलाशय के ऊपर बना हुआ है। गार्डन का विशेष आकर्षण जानवरों की आकृति में कटी ख़ूबसूरत झाडिय़ां है। इस गार्डन से अरब सागर के ऊपर सूर्यास्त का दृश्य बड़ा ही सुंदर दिखाई देता है।
जुहू चौपाटी
यह बीच मुंबई की सबसे प्रसिद्ध बीच है। यह मुंबई के जीवन का अभिन्न हिस्सा है। यह बीच पर्यटन स्थल के रूप में भी काफी प्रसिद्ध है। यह बीच बहुत ही बड़ा है जो सेंटाक्रूज से लेकर वेली-पार्ले तक फैला हुआ है। शनिवार और रविवार के दिन बीच पर बहुत अधिक भीड़ रहती है। चौपाटी बीच पर सपेरे और झूले भी मिलते हैं। स्पेशल भेल-पूरी और चाट के लिए चौपाटी बहुत प्रसिद्ध है।
महालक्ष्मी मंदिर
मुंबई के सर्वाधिक प्राचीन धर्मस्थलों में से एक है महालक्ष्मी मंदिर। समुद्र के किनारे बी. देसाई मार्ग पर स्थित यह मंदिर लाखों लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। मंदिर के गर्भगृह में महालक्ष्मी, महाकाली एवं महासरस्वती तीनों देवियों की प्रतिमाएं एक साथ विद्यमान हैं। तीनों प्रतिमाओं को सोने के आभूषणों से सुसज्जित किया गया है। यहां आने वाले हर भक्तों को विश्वास होता है कि माता उनकी हर इच्छा जरूर पूरी करेंगी। मंदिर का निर्माण सन 1831 में धाक जी दादाजी नाम के एक हिन्दू व्यापारी ने करवाया था। समुद्र किनारे होने के कारण हाजी अली से महालक्ष्मी मंदिर दिखाई देता है।
मरीन ड्राइव
मरीन ड्राइव एक सी के आकार का छह लेन अरब सागर तट के साथ कंक्रीट की सड़क है जिसका निर्माण 1920 में हुआ। मरीन ड्राइव अरब सागर के किनारे-किनारे नरीमन प्वाइंट से लेकर चौपाटी से होते हुए मालाबार हिल तक के क्षेत्र में है। मरीन ड्राइव के शानदार घुमाव पर लगी स्ट्रीट-लाइटें रात्रि के समय जगमाती हैं जिस कारण इसे क्वीन्स नैकलेस का नाम दिया गया है। रात्रि के समय ऊंचे भवनों से देखने पर मरीन ड्राइव बहुत बेहतरीन दिखाई देता है। दुनियाभर के अधिकतर पर्यटक मरीन ड्राइव पर चहलकदमी करते नजर आते हैं। यहां का खास आकर्षण समुद्र की उठती-गिरती लहरें है।
मुंबा देवी मंदिर
मुंबई में कई दर्शनीय स्थल है जिनमें से एक मुंबा देवी मंदिर है। मुंबई का नाम ही मराठी में मुंबा आई यानि मुंबा माता के नाम से निकला है। मुंबा देवी को समर्पित मंदिर चौपाटी की रेतीले तटों के निकट बाबुलनाथ में स्थित है। मुंबा देवी मंदिर लगभग 400 वर्ष पुराना है। मंदिर में प्रतिदिन छ: बार आरती की जाती है। मंगलवार का दिन यहां शुभ माना जाता है। यहां मन्नत मांगने के लिए यहां रखे कठवा (लकड़ी) पर सिक्कों को कीलों से ठोका जाता है। यहां श्रद्धालुओं की भीड़ बहुत रहती है।
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रेलवे स्टेशन
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस को पहले विक्टोरिया टर्मिनस के नाम से जाना जाता था। गॉथिक शैली में बना यह विशाल भवन किसी रेलवे स्टेशन की बजाय एक महल जैसा दिखता है। इसका डिजाइन फ्रेडेरिक स्टीवंस ने तैयार किया था और 1887 में इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ। इस भवन को बंदर, मोर और सिंह की मूर्तियों के साथ विभिन्न आकार के गुंबद, मीनारें और रंगीन शीशे वाली खिड़कियों से सजाया गया है। भवन के सामने बीच में रानी विक्टोरिया की बड़े आकार की मूर्ति लगी हुई है। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस अपने लघु नाम वी.टी. या सी.एस.टी. से अधिक प्रचलित है। 2004 को इस स्टेशन को युनेस्को की विश्व धरोहर समिति द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
बांद्रा-वर्ली समुद्रसेतु
बांद्रा-वर्ली समुद्रसेतु (आधिकारिक राजीव गांधी सागर सेतु) 8-लेन का तार-समर्थित कांक्रीट से निर्मित पुल है। यह बांद्रा को मुंबई के पश्चिमी और दक्षिणी (वर्ली) उपनगरों से जोड़ता है और यह पश्चिमी-द्वीप महामार्ग प्रणाली का प्रथम चरण है। इस पुल का उद्घाटन 30 जून, 2009 को किया गया, लेकिन जन साधारण के लिए इसे 1 जुलाई, 2009 को मध्य-रात्रि से खोला गया। साढ़े पांच किलोमीटर लंबे इस पुल के बनने से बांद्रा और वर्ली के बीच यात्रा में लगने वाला समय 45 मिनट से घटकर मात्र 6-8 मिनट रह गया है। यह सेतु मुंबई और भारत में अपने प्रकार का प्रथम पुल है।

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