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...और करता था वह मेहनत



करता था वह (किसान) मेहनत हर दिन बेटा समझ कर ।  
आशा थी कि आगे चलकर उसकी जिंदगी का सहारा बनेगा।
सींचा करता था बेटी की तरह। आशा थी कि अपनी साया से दूसरे का भरण-पोषण करेगी।  
लेकिन क्या पता था कि अपनी मेहनत पर सींची फसल पर किसी और का अधिकार होगा।
न चाहते हुए भी उसे करनी पड़ी आत्महत्या। क्योंकि उसकी जमीन किसी और की हो गई।
पत्नी को आत्महत्या इसलिए करनी  पड़ी क्योंकि न तो उसके पास पति था और न ही कर्जे के पैसे।
बेटी ने संभाली पुरखों की बीड़ा, उसे खानी पड़ी पत्थर और गोली की मार।
आखिर बेटी को करनी पड़ी आत्महत्या क्योंकि उसकी अस्मत (इज्जत) लुट चुकी थी।
अत: बेटे ने भी कर ली आत्महत्या क्योंकि उसके पास नहीं बचा था कुछ बचाने को।

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