मेरे सामने लक्ष्य है मेरा, अभी पूरा करना है
मत भटकाओं राहों से, बाधाओं से लडऩा है
तू राही भटकने वाला है, कोई क्या जाने तू मतवाला है
मन मेरा चंचल है, फिर क्यों प्राणों में उमंग भर जाता है
तब सोच-सोच कर कहता है, तू चंचल तेरी मन चंचल
ये धरती तेरा बिस्तर है, तू दिन-रात का उजाला है
तेरी सोच राह दिखती है, मंजिल तक तुझे पहुंचाती है
तू मस्त घटा का चादर है, तेरी राह औरों से निराली है
मत भटकाओं राहों से, बाधाओं से लडऩा है
तू राही भटकने वाला है, कोई क्या जाने तू मतवाला है
मन मेरा चंचल है, फिर क्यों प्राणों में उमंग भर जाता है
तब सोच-सोच कर कहता है, तू चंचल तेरी मन चंचल
ये धरती तेरा बिस्तर है, तू दिन-रात का उजाला है
तेरी सोच राह दिखती है, मंजिल तक तुझे पहुंचाती है
तू मस्त घटा का चादर है, तेरी राह औरों से निराली है
0 Comments