भींगती आंखों से मंजर नहीं देखे जाते
दरिया को छोड़ समंदर नहीं देखे जाते
अगर जिदंगी में कुछ करना है तो
हालात से डरना कैसा, जंग लाजिमी हो
तो गुजरे वक्त नहीं देखे जाते
हौसला अफजाई और बुलंद इरादे हो
तो मंजिल को पाने में देर नहीं होती
लेकिन वक्त की पहचान ने मुझे ऐसे धकेला की
जिदंगी से शिकायत होने लगी तभी एहसास हुआ
ऊंचाई तक उडऩे के लिए विकास चाहिए
अंधेरे को हटाने के लिए प्रकाश चाहिए
सबकुछ कर सकते हैं सिर्फ हमें
पूर्ण आत्मविश्वास चाहिए ।।
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